
क्या 20 साल बाद फिर बिहार को मिलेगा रेल मंत्रालय ? जेडीयू के साथ साथ चिराग भी दावेदार ?
देश में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके है और अब एनडीए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।
इसी बीच रेल मंत्रालय को लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी का दौर चल पड़ा है । सूत्रों की माने तो एक तरफ जहां जेडीयू इस मंत्रालय पे दावा ठोक रही है वही चिराग की भी इस मंत्रालय के लिए दावेदारी है ।
हाल ही में जेडीयू के बाहुबली नेता आनंद मोहन ने दिल्ली में नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कहा ” रेल मंत्रालय पर बिहार का हक है “। उनके इस बयान ने सियासी पारा बढ़ा दी है । उन्होंने कहा बिहार से रेलवे सबसे जायदा राजस्व कमाता है , और अभी बिहार में बहुत से काम बाकी है ।
इतिहास पर एक नजर डाले तो बिहार ने देश को 8 रेलमंत्री दिया
- Babu Jagjivan Ram – 1962
- Ram Subhag Singh – 1969
- Lalit Narayan Mishra – 1973
- Kedar Pandey – 1982
- George Fernandes – 1989
- Ramvilas Pashwan – 1996
- Nitish Kumar – 1998 , 2001
- Lalu Yadav – 2004
आखिर क्यों रहती है रेलवे में नेताओ को दिलचस्पी ?
रेलवे बजट के मामले में बहुत बड़ा मंत्रालय है साथ की बहुत कल्याणकारी मंत्रालय भी हैं , यह लोगो से सीधे तौर पे जुड़ा हुआ है नई रेल लाइन बिछाना, नई ट्रेन चलवाना , हॉल्ट बनवाना , नए स्टेशनों पर ठहराव यह सब रेल मंत्रालय के हाथ में है ।
साथ ही नौकरी के लिहाज से भी रेलवे एक बड़ा मंत्रालय है जिसमे हर साल लाखों नौकरियां आती है , साथ ही हमेशा मेंटेनेंस का भी काम होता रहता है जिससे भी लोगो को रोजगार मिलती है और इन सब के सैलरी और तमाम खर्चों का पावर सीधे रेल मंत्री के हाथो में रहता है ।
रेलमंत्री रहते हुए रामविलास पासवान की उपलब्धियां
- हाजीपुर में जोनल ऑफिस लाना
- IRCTC की स्थापना
- 136 रेल इंक्वायरी में कोच व बर्थ की जानकारी की शुरुआत करना
- पटना दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस का परिचालन
- दीघा सोनपुर ब्रिज और मुंगेर खगड़िया ब्रिज की घोषणा
विरोधियों द्वारा कहा गया यह बिहार बजट है
जब रामविलास रेल बजट पेश कर रहे थे तब विरोधियों द्वारा कहा गया था यह “रेल बजट” नही “बिहार बजट” है रामविलास 1996 से 1998 तक रेल मंत्री रहे , उनका ज्यादातर फोकस बिहार पर रहा, मंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार के लिए सबसे जायदा प्रोजेक्ट्स दिए।
रातों रात छीन गया रेल मंत्रालय
2004 में फिर एक बार रामविलास रेलमंत्री बनने वाले थे, उन्होंने इसका जिक्र अपने जीवनी ” पासवान : संकल्प साहस और संघर्ष ” में किया है । मनमोहन सिंह का नाम फाइनल होने के बाद रात में उन्हें सोनिया आवास से फोन आया, वहा जाने पर उन्हें एक लिस्ट दी गई जिसमे रामविलास ने रेल मंत्रालय पर टिक कर दिया लेकिन सुबह सब कुछ पलट गया रेल मंत्रालय लालू यादव को दिया जा चुका था ।
अहमद पटेल ने फोन कर बताया कि लालू रक्षा या गृह मंत्रालय मांग रहे थे उन्हें रेल मंत्रालय पर मनाया गया । तब लालू के पार्टी के 24 सांसद थे ।
बाद में फिर अहमद पटेल के हस्तक्षेप पर पासवान रसायन उर्वरक और इस्पात मंत्रालय पर माने ।
रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव की उपलब्धियां
- कम किराए वाली गरीब रथ ट्रेन चलवाना
- लंबी दूरी की ट्रेनों के इंजन बदल कर स्पीड बढ़वाया
- एक्सप्रेस ट्रेनों तो सुपरफास्ट करवाया
- रेलवे को 90 हजार करोड़ का मुनाफा
- स्टेशन के कुलियों को स्थाई किया
लालू ने ट्रेन में कुल्हड़ वाली चाय की भी शुरुवात की थी ताकि प्लास्टिक से निजात मिले और गरीबों को रोजगार भी मिले ।
हालांकि ममता बनर्जी के रेल मंत्री बनाने पर यह यह योजना बंद कर दी गई।
लालू ने ही आईआईएम अहमदाबाद के एक भाषण में रेलवे को जर्सी गाय कहा था । लालू 2004 में रेल मंत्री बने थे ।
नीतीश 1998 और 2001 में बने रेल मंत्री
- नीतीश ने हरनौत में कोच फैक्ट्री शुरू करवाया
- नीतीश कुमार ने ही रेल नीर की शुरुवात करवाई ताकि लोगो को शुद्ध पानी सस्ते दामों में मिल सके जो की आज भी चल रही है।
5 अगस्त 1999 को असम बंगाल के बॉर्डर गैसल में एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई थी, जिसमे 290 लोगो की जान गई थी तब नीतीश कुमार नैतकिता के नाम पर इस्तीफा दे दिया था ।
बाद में 2001 में फिर उन्हें रेल मंत्री की जिम्मेवारी मिली ।
अब देखना ये है की क्या एक बार फिर रेल मंत्रालय बिहार को मिलता है ?